Jaishankar Prasad

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Books By Jaishankar Prasad
Jaishankar Prasad Ki Shrestha Kahaniyaan (Hindi)
1 Jan, 2015
₹ 49.00
₹ 173.25
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जयशंकर प्रसाद जहाँ उच्चकोटि के कवि थे, वहीं अच्छे कहानीकार भी थे। उनके पाँच कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए जिन्होंने न सिर्फ हिन्दी कथा-साहित्य को समृद्ध किया बल्कि विशिष्ट विधा के प्रवर्तक कथाकार के रूप में उनकी पहचान बनाई। जयशंकर प्रसाद के लेखन में आदर्शवाद और प्राचीन गौरव गाथाओं की झलक मिलती है। उनकी कहानियों में भावना और आदर्श के बीच द्वंद्व का बहुत ही सशक्त चित्रण होता है जो उनकी कहानियों के पात्रों को यादगार बनाता है। ‘मदन मृणालिनी’ का मदन, ‘जहाँआरा’ का औरंगजेब, ‘पाप की पराजय’ का धनश्याम और ‘गुंडा’ का ननकूसिंह अविस्मरणीय पात्र बन गए हैं। इन कहानियों के अतिरिक्त उनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘छोटा जादूगर’ सहित बाईस कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।
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Dhruswamini (Hindi Edition)
3 Nov, 2016
₹ 0.00
This is a Hindi literary classic.
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Hardcover
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Mamta (Hindi)
1 Jan, 2011
₹ 29.00
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Its a story about a widowed brahmin woman Mamtha, who was the son of a minister named chudamani. She was kind and a greedy-less woman. She was not fond of gold. Once Chudamani was killed by sher shah,Mamtha escaped somehow and lived in a small hut far away from her hometown. During a cold night a soldier came in for shelter, Mamtha first refused to let him in but after remembering the famous quote ' Athiti devo bhavah' and also she thought as a brahmin she did not want to desert a person in need and so, she lets him in And later on she gets to know that the soldier was the great mughal king 'Humayun'. And Then Akbar Humayun's sons builds a temple there and forgets to mention Mamtha's name in it.
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Paperback
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Kamayani कामायनी (Hindi Edition)
5 Oct, 2019
₹ 100.00
कामायनी' जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ कृति मानी जाती है। हिन्दी साहित्य में 'रामचरितमानस' के बाद दूसरा महाकाव्य 'कामायनी' को माना जाता है। यह 'छायावादी युग' का अनुपम महाकाव्य है। इसे छायावाद युग का 'उपनिषद' भी कहा जाता है।
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Paperback
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₹ 99.00
जयशंकर प्रसाद की 71 कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।
[अघोरी का मोह | अनबोला | अपराधी | अमिट स्मृति | अशोक | आँधी | आकाशदीप | इंद्रजाल | उर्वशी | करुणा की विजय | कला | कलावती की शिक्षा | खंडहर की लिपि | गुंडा | गुदड़ी में लाल | गुलाम | गूदड़ साईं | ग्राम-गीत | घीसू | चंदा | चक्रवर्ती का स्तंभ | चित्तौड़-उद्धार | चित्र-मंदिर | चित्रवाले पत्थर | चूड़ीवाली | छोटा जादूगर | जहाँआरा | ज्योतिष्मती | दासी | दुखिया | देवदासी | देवरथ | नीरा | नूरी | पंचायत | पत्थर की पुकार | परिवर्तन | पाप की पराजय | पुरस्कार | प्रणय-चिह्नं | प्रतिध्वनि | प्रतिमा | प्रलय | प्रसाद | बनजारा | बभ्रुवाहन | बिसाती | बेड़ी | ब्रह्मर्षि | भिखारिन | भीख में | मदन-मृणालिनी | मधुआ | ममता | रमला | रसिया बालम | रूप की छाया | विजया | विराम-चिह्न | वैरागी | व्रत-भंग | शरणागत | संदेह | समुद्र-संतर
[अघोरी का मोह | अनबोला | अपराधी | अमिट स्मृति | अशोक | आँधी | आकाशदीप | इंद्रजाल | उर्वशी | करुणा की विजय | कला | कलावती की शिक्षा | खंडहर की लिपि | गुंडा | गुदड़ी में लाल | गुलाम | गूदड़ साईं | ग्राम-गीत | घीसू | चंदा | चक्रवर्ती का स्तंभ | चित्तौड़-उद्धार | चित्र-मंदिर | चित्रवाले पत्थर | चूड़ीवाली | छोटा जादूगर | जहाँआरा | ज्योतिष्मती | दासी | दुखिया | देवदासी | देवरथ | नीरा | नूरी | पंचायत | पत्थर की पुकार | परिवर्तन | पाप की पराजय | पुरस्कार | प्रणय-चिह्नं | प्रतिध्वनि | प्रतिमा | प्रलय | प्रसाद | बनजारा | बभ्रुवाहन | बिसाती | बेड़ी | ब्रह्मर्षि | भिखारिन | भीख में | मदन-मृणालिनी | मधुआ | ममता | रमला | रसिया बालम | रूप की छाया | विजया | विराम-चिह्न | वैरागी | व्रत-भंग | शरणागत | संदेह | समुद्र-संतर
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Ajatashatru (Hindi Edition): अजातशत्रु
13 Aug, 2017
₹ 59.00
जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद को आधुनिक हिन्दी साहित्य और हिंदी थिएटर की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक के रूप में जाना जाता है। प्रसाद को अक्सर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के साथ-साथ हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद (छायावाद) के चार स्तम्भों (चार स्तंभ) में से एक माना जाता है। उनका लेखन भाषा पर महारत का प्रदर्शन करते हुए, कला और दर्शन के बीच पुल का काम करता था। हमेशा शास्त्रीय हिन्दी कविता के एक उस्ताद रहे, प्रसाद की रचनाएँ रोमांटिक और राष्ट्रवादी दोनों विषयों को छूती हैं। उनकी कृतियों मूल संस्कृत के साथ हिंदी भाषा के पक्ष में थी, और फारसी शब्दावली से बचा जाता था।
प्रसाद का जन्म एक संपन्न तंबाकू व्यापारी के परिवार में हुआ था। समय के साथ आस
जयशंकर प्रसाद को आधुनिक हिन्दी साहित्य और हिंदी थिएटर की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक के रूप में जाना जाता है। प्रसाद को अक्सर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के साथ-साथ हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद (छायावाद) के चार स्तम्भों (चार स्तंभ) में से एक माना जाता है। उनका लेखन भाषा पर महारत का प्रदर्शन करते हुए, कला और दर्शन के बीच पुल का काम करता था। हमेशा शास्त्रीय हिन्दी कविता के एक उस्ताद रहे, प्रसाद की रचनाएँ रोमांटिक और राष्ट्रवादी दोनों विषयों को छूती हैं। उनकी कृतियों मूल संस्कृत के साथ हिंदी भाषा के पक्ष में थी, और फारसी शब्दावली से बचा जाता था।
प्रसाद का जन्म एक संपन्न तंबाकू व्यापारी के परिवार में हुआ था। समय के साथ आस
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₹ 105.00
जिस समय खड़ी बोली और आधुनिक हिन्दी साहित्य किशोरावस्था में पदार्पण कर रहे थे। काशी के 'सुंघनी साहु' के प्रसिद्ध घराने में श्री जयशंकर प्रसाद का संवत् 1946 में जन्म हुआ। व्यापार में कुशल और साहित्य सेवी - आपके पिता श्री देवी प्रसाद पर लक्ष्मी की कृपा थी। इस तरह प्रसाद का पालन पोषण लक्ष्मी और सरस्वती के कृपापात्र घराने में हुआ। प्रसाद जी का बचपन अत्यन्त सुख के साथ व्यतीत हुआ। आपने अपनी माता के साथ अनेक तीर्थों की यात्राएं की। पिता और माता के दिवंगत होने पर प्रसाद जी को अपनी कॉलेज की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और घर पर ही बड़े भाई श्री शम्भुरत्न द्वारा पढ़ाई की व्यवस्था की गई। आपकी सत्रह वर्ष की आयु में ही बड़े भाई का भी स्वर्गवास हो गया। फिर प्रसाद जी ने पारिवारिक ऋण मुक्ति के लिए सम्पत्ति का &
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Dhruvswamini (Hindi Edition): ध्रुवस्वामिनी
13 Aug, 2017
₹ 59.00
जयशंकर प्रसाद
जयशंकर प्रसाद को आधुनिक हिन्दी साहित्य और हिंदी थिएटर की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक के रूप में जाना जाता है। प्रसाद को अक्सर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के साथ-साथ हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद (छायावाद) के चार स्तम्भों (चार स्तंभ) में से एक माना जाता है। उनका लेखन भाषा पर महारत का प्रदर्शन करते हुए, कला और दर्शन के बीच पुल का काम करता था। हमेशा शास्त्रीय हिन्दी कविता के एक उस्ताद रहे, प्रसाद की रचनाएँ रोमांटिक और राष्ट्रवादी दोनों विषयों को छूती हैं। उनकी कृतियों मूल संस्कृत के साथ हिंदी भाषा के पक्ष में थी, और फारसी शब्दावली से बचा जाता था।
प्रसाद का जन्म एक संपन्न तंबाकू व्यापारी के परिवार में हुआ था। समय के साथ आस
जयशंकर प्रसाद को आधुनिक हिन्दी साहित्य और हिंदी थिएटर की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक के रूप में जाना जाता है। प्रसाद को अक्सर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के साथ-साथ हिंदी साहित्य में स्वच्छंदतावाद (छायावाद) के चार स्तम्भों (चार स्तंभ) में से एक माना जाता है। उनका लेखन भाषा पर महारत का प्रदर्शन करते हुए, कला और दर्शन के बीच पुल का काम करता था। हमेशा शास्त्रीय हिन्दी कविता के एक उस्ताद रहे, प्रसाद की रचनाएँ रोमांटिक और राष्ट्रवादी दोनों विषयों को छूती हैं। उनकी कृतियों मूल संस्कृत के साथ हिंदी भाषा के पक्ष में थी, और फारसी शब्दावली से बचा जाता था।
प्रसाद का जन्म एक संपन्न तंबाकू व्यापारी के परिवार में हुआ था। समय के साथ आस
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जिस समय खड़ी बोली और आधुनिक हिन्दी साहित्य किशोरावस्था में पदार्पण कर रहे थे। काशी के 'सुंघनी साहु' के प्रसिद्ध घराने में श्री जयशंकर प्रसाद का संवत् 1946 में जन्म हुआ। व्यापार में कुशल और साहित्य सेवी - आपके पिता श्री देवी प्रसाद पर लक्ष्मी की कृपा थी। इस तरह प्रसाद का पालन पोषण लक्ष्मी और सरस्वती के कृपापात्र घराने में हुआ। प्रसाद जी का बचपन अत्यन्त सुख के साथ व्यतीत हुआ। आपने अपनी माता के साथ अनेक तीर्थों की यात्राएं की। पिता और माता के दिवंगत होने पर प्रसाद जी को अपनी कॉलेज की पढ़ाई रोक देनी पड़ी और घर पर ही बड़े भाई श्री शम्भुरत्न द्वारा पढ़ाई की व्यवस्था की गई। आपकी सत्रह वर्ष की आयु में ही बड़े भाई का भी स्वर्गवास हो गया। फिर प्रसाद जी ने पारिवारिक ऋण मुक्ति के लिए सम्पत्ति का &
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