Mannu Bhandari

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Books By Mannu Bhandari
Mahabhoj (Hindi Edition)
1 Jan, 2016
₹ 146.26
महाभोज – मन्नू भंडारी मन्नू भंडारी का महाभोज उपन्यास इस धारणा को तोड़ता है कि महिलाएं या तो घर-परिवार के बारे में लिखती हैं, या अपनी भावनाओं की दुनिया में ही जीती-मरती हैं! महाभोज विद्रोह का राजनैतिक उपन्यास है! जनतंत्र में साधारण जन की जगह कहाँ है? राजनीति और नौकरशाही के सूत्रधारों ने सारे ताने-बाने को इस तरह उलझा दिया है कि वह जनता को फांसने और घोटने का जाल बनकर रह गया है! इस जाल की हर कड़ी महाभोज के दा साहब की उँगलियों के इशारों पर सिमटती और कहती है! हर सूत्र के वे कुशल संचालक हैं! उनकी सरपरस्ती में राजनीति के खोटे सिक्के समाज चला रहे हैं!-खरे सिक्के एक तरफ फेंक दिए गए हैं! महाभोज एक ओर तंत्र के शिकंजे की तो दूसरी ओर जन की नियति के द्वन्द की दारुण कथा है! अनेक देशी-विदेशी भाषाओँ में इस महत्त्पूर&
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Aapka Bunti (Hindi)
1 Jan, 2016
₹ 157.50
₹ 165.38
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आपका बंटी आपका बंटी मन्नू भंडारी के उन बेजोड़ उपन्यासों में है जिनके बिना न बीसवीं शताब्दी के हिन्दी उपन्यास की बात की जा सकती है न स्त्री-विमर्श को सही धरातल पर समझा जा सकता है। तीस वर्ष पहले (1970 में) लिखा गया यह उपन्यास हिन्दी की लोकप्रिय पुस्तकों की पहली पंक्ति में है। दर्जनों संस्करण और अनुवादों का यह सिलसिला आज भी वैसा ही है जैसा धर्मयुग में पहली बार धारावाहिक के रूप से प्रकाशन के दौरान था। बच्चे की निगाहों और घायल होती संवेदना की निगाहों से देखी गई परिवार की यह दुनिया एक भयावह दुस्वप्न बन जाती है। कहना मुश्किल है कि यह कहानी बालक बंटी की है या माँ शकुन की। सभी तो एक-दूसरे में ऐसे उलझे हैं कि एक की त्रासदी सभी की यातना बन जाती है। शकुन के जीवन का सत्य है कि स्त्री की जायजश् महत्त्वाकां
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Paperback
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Meri Priya Kahaniyaan (Hindi Edition)
1 Apr, 1997
₹ 141.75
हिन्दी के कहानी लेखकों में मन्नू भंडारी का अग्रणी स्थान है। उनकी कहानियों में नारी-जीवन के उन अन्तरंग अनुभवों को विशेष रूप से अभिव्यक्ति दी गई है जो उनके नितांत अपने हैं और पुरुष कहानीकारों की रचनाओं में प्रायः नहीं मिलते। वैसे मन्नू भंडारी ने अपने अन्य समकालीन समर्थ लेखकों की तरह ही लगभग सभी पहलुओं पर सशक्त कहानियाँ लिखी हैं।
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₹ 52.50
नई कहानी को समृद्ध बनाने में जिन कथा-लेखिकाओं ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है, मन्नू भंडारी का नाम उनमें सर्वोपरि है। स्वभावतः इसमें उनका नारी-मन रूपायित हुआ है। आधुनिक नारी की अस्मिता, उसकी अपनी पहचान और सामाजिक जड़ताओं से लड़ने के उसके साहस की उन्होंने बराबर रचनात्मक हिमायत की है। यह एक चुनौती-भरा कार्य था, क्योंकि उनके अपने शब्दों में, ‘कवयित्री की अपेक्षा नारी-कथाकार के साथ यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है कि उसे बिना लाक्षणिक भाषा का सहारा लिये अधिक खुलकर सामने आना पड़ता है। वह घिसे-पिटे कथानकों और भाव-धरातलों को ही लेती रहे, तब तक तो ठीक है, लेकिन जहाँ जीवन और जगत के व्यापक क्षेत्रों को छूने का साहस उसने किया कि प्रत्यक्ष और परोक्ष वर्जनाएँ उसकी ओर अँगुली उठाती सामने आ खड़ी होती हैं
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Hardcover
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Bandi (Hindi Edition)
1 Nov, 2018
₹ 175.00
₹ 183.75
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मन्नू भंडारी की अभी तक असंकलित कहानियों की यह प्रस्तुति पाठकों को एक बार फिर अपनी उस प्रिय कथाकार की जादुई कलम की याद दिलाएगी जिसने नयी हिन्दी कहानी, और आज़ादी बाद बनते नये भारतीय समाज में अपनी पहचान तलाशती स्त्री के मन को रूपाकार देने में निर्णायक भूमिका निभाई।
नयी कहानी आन्दोलन के उन दिनों में जब हिन्दी की रचनात्मकता अपनी प्रयोगशीलता को लेकर न सि$र्फ मुखर बल्कि वाचाल प्रतीत होती थी, मन्नू जी ने अत्यन्त संयम के साथ बहुत सार्थक, रुचिकर, पठनीय और लोकप्रिय कहानियों-उपन्यासों की रचना की। अपने लेखक-व्यक्तित्व को लेकर हमेशा संशय में रहनेवाली मन्नू जी ने अपनी रचना-यात्रा के किसी भी मोड़ पर अपने स्वभाव को न किसी फैशन के लिए छोड़ा, न किसी उपलब्धि के लिए। उनका रचना-लोक उनकी अपनी आभा से परिप
नयी कहानी आन्दोलन के उन दिनों में जब हिन्दी की रचनात्मकता अपनी प्रयोगशीलता को लेकर न सि$र्फ मुखर बल्कि वाचाल प्रतीत होती थी, मन्नू जी ने अत्यन्त संयम के साथ बहुत सार्थक, रुचिकर, पठनीय और लोकप्रिय कहानियों-उपन्यासों की रचना की। अपने लेखक-व्यक्तित्व को लेकर हमेशा संशय में रहनेवाली मन्नू जी ने अपनी रचना-यात्रा के किसी भी मोड़ पर अपने स्वभाव को न किसी फैशन के लिए छोड़ा, न किसी उपलब्धि के लिए। उनका रचना-लोक उनकी अपनी आभा से परिप
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