इक्ष्वाकु के वंशज हो या शिव रचना त्रय की सीरीज हो सब मे आपने मुर्दाखोरी ( मांस भक्षण) को प्रोत्साहित किया हैं, पता नही आपको यह ज्ञान कहां प्राप्त हुआ ! आप बेहतरीन लेखक है आपकी लेखनी और विश्लेषण की क्षमता तारीफ के काबिल है लेकिन इस तरह हिन्दू धर्म मे मुर्दाखोरी होती थी जान कर आश्चर्य हुआ साथ ही गुस्सा भी आया ।
आखेट और शिकार में उतना ही फर्क है जितना शाकाहारी और मांसाहारी व्यक्ति में फर्क होता हैं। आखेट युद्धकला को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं लेकिन मुर्दाखोरी ....?