Top critical review
1.0 out of 5 starsराम के ज़माने में दुबई
Reviewed in India on 30 October 2019
राम के ज़माने में दुबई
किताब पढ़ कर मजा नहीं आया। कहानी के लिए अगर लेखक पौराणिक पात्रो के साथ छेड़छाड़ करता भी है तो चल जायेगा लेकिन पौराणिक कथा पढ़ते समय बीच बीच में किलोमीटर, जेटी, दुबई जैसे अंग्रेजी के शब्द पूरा मजा किरकिरा कर देते है।
लेखक ने कुछ मेहनत कर के इन सभी के पौराणिक और हिंदी नाम ढूंढने चाहिए थे। जैसे सिंगापुर का पुराना नाम फारमोसा द्वीप था।
दशरथ राम को पसंद नहीं करते और उन्हें अपनी हार का जिम्मेदार मानते है शायद यह विदेशी पाठको को पसंद आ जाये लेकिन यह तर्क भारतीयों के गले के नीचे उतारने की कोशिश भी करना मूर्खता ही मानी जाएगी।